क्यूँ सम्पत्ति ख़रीद में ख़रीददार Brokers से बचते नज़र आते हैं और क्या है इसके परिणाम

आम तौर पर ख़रीददार Brokers से बचते नज़र आते हैं, मगर क्या ये नुस्का उनके काम आता है या फिर परिणाम बिलकुल विपरीत होते हैं
Brokers के बिना सम्पत्ति ख़रीद का पहला मतलब ये के ख़रीददार को कोई ऐसी सम्पत्ति ख़रीद करनी है जिसमें कि Broker का हाथ ना हो, यानी के ख़रीददार सीधे विक्रेता से सम्पर्क साधना चाहते हैं
कारण के उन्हें Brokerage अदा नहीं करना है, इसे यूँ भी कह सकते हैं के वो कुछ पैसा बचना चाहते हैं, और ये ग़लत भी नहीं है
लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है के कोई विक्रेता जो के अपनी सम्पत्ति सीखे ख़रीददार को बेचना चाहता है तो उसके पीछे उनकी क्या सोच होती है ?
जिस तरह ख़रीददार चाहता है के उन्हें brokerage के नाम पर खर्च ना करने पड़े, ठीक वैसे ही विक्रेता भी इसी सोच के साथ अपनी सम्पत्ति को बाज़ार में उतारते हैं, अर्थाथ दोनो ही अवस्था में पैसे बचाने की कोशिश होती है
Online portals में आमतौर पर ये देखा जाता है के विक्रेता अपनी मर्ज़ी के अनुसार सम्पत्ति के भाव चाहते हैं, यानी मन में जो आया वो लेना है, (आप अगर ठीक से Online Portal में देखेंगे तो आपको एक ही सम्पत्ति भाव में 50 से 80 लाख कर फ़र्क़ नज़र आजाएगा) ज़रूर देखें
Online portal में search option में विकल्प होता है आप किसकी सम्पत्ति देखना चाहते हैं, Owner, Builder या फिर Brokers और सीधे तौर पर जो ये समझ कर चलते हैं के उन्हें brokerage बचना है वो Owner Search पर click करके आगे बढ़ते हैं
यहाँ समझने वाली बात ये है के Owner जो के अपनी सम्पत्ति बेचने में जितना हो सके ज़्यादा मूल्य दिखा कर Online market में Publish करते हैं (अगर ख़रीददार उस जगह के भाव से अनजान है तो विक्रेता का फ़ायदा लगभग तय माना जा सकता है), अब यहीं पर एक बात समझने वाली है, अगर Owner किसी broker से बात करे तो उन्हें बाज़ार भाव में सम्पत्ति बेचनी होगी क्यू के Brokers सिर्फ़ बाज़ार भाव (Responsive Value - जिस मूल्य में किसी भी project या location पर नियमित रूप से सम्पत्ति बेची या ख़रीदी जाए) पर काम करते हैं, मगर Owner को अपनी मर्ज़ी का मूल्य लेना होता है तो वो brokers के साथ ना जाकर खुद किसी ऐसे ख़रीददार से सम्पर्क करना चाहते हैं जो के बिना broker के उनकी सम्पत्ति ख़रीदने का विचार रखते हों
इसमें कई बार विक्रेता कामयाब भी रहते हैं, क्यूँ के ख़रीददार कई बार उस जगह के भाव से अनजान होते हैं और दूसरी और अगर वो brokers से सम्पर्क नहीं करते हैं तो उन्हें बाज़ार भाव समझ नहीं आता और वो किसी ऐसे विक्रेता के साथ अपनी ख़रीद पूरी करते हैं जो बाज़ार भाव से ज़्यादा में अपनी सम्पत्ति बेचना चाहते हैं
यहाँ सीधा फ़र्क़ स्वभाव का है अगर एक ही इंसान अपनी सम्पत्ति बेचना चाहे तो वो ज़्यादा से ज़्यादा मूल्य लेना पसंद करते हैं मगर उन्हें ही अगर उसी जगह वही सम्पत्ति ख़रीदनी हो तो उनका स्वभाव ठीक विपरीत हो जाता है, ये स्वाभविक है
मगर क्या किसी से बाज़ार भाव से ज़्यादा एंठ लेना कितना सही है, और कभी ना कभी ये बात ख़रीददार को समझ आती ही मगर तब तक बहोत देर हो चुकी होती है
वैसे ऐसे इस तरह की परिस्तिथि 100 में कुछ ही प्रतिशत देखी जाती है, शायद इसी वजह से 70 प्रतिशत से भी ज़्यादा सम्पत्ति आज के वक़्त Brokers द्वारा बेची या ख़रीदी जाती है
मेरी राय
ख़रीददार को हमेशा पूर्ण मूल्य (Total Value) पर नज़र रखनी चाहिए ना के कहाँ कितना खर्च हो रहा है उसपर, अगर आपको Brokerage अदा करके कोई सम्पत्ति (उदाहरण के तौर पर) 60 लाख की मिलती है और अगर वही सम्पत्ति बिना brokerage के 60 लाख से ज़्यादा में मिले तो कौनसी Deal बेहतर हो सकती है ये आपको समझ आ ही गया होगा
इतना ही नहीं Broker के साथ आपके और क्या क्या फ़ायदे हो सकते हैं ये में आपको अगले Blog में ज़रूर बताऊँगा, इस उदाहरण पर मैंने एक Video मेरे channel (Assets Adda) पर कुछ दिनो पहले ही Upload किया है जिसे आप यहाँ Click करके देख सकते हैं जो के एक सच्ची घटना पर आधारित है
आपकी की सुविधा के लिए में ज़्यादा से ज़्यादा blogs और Videos लाता रहूँगा तके ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को किसी अप्रिय नुक़सान से बचाया जा सके (मेहनत का पैसा अपनो के कम आए तो बेहतर है), Channel Subscribe करके मेरे परिवार का हिस्सा बनें, आपका बहोत शुक्रिया
जय हिंद
Pravinkumar